Skip to product information
1 of 1

भगवान बुद्ध और उनका धम्म

भगवान बुद्ध और उनका धम्म

Regular price Rs. 225.00
Regular price Rs. 250.00 Sale price Rs. 225.00
Sale Sold out
Shipping calculated at checkout.

Low stock: 4 left

लेखक : बोधिसत्व बाबासाहेब डॉ. बी.आर. आंबेडकर 

अनुवादक : डॉ. एम.एल. परिहार 

पृष्ठ : 368

 

— अनुक्रमणिका —

किताब में कहां, क्या है.

जन्म से पब्बज्जा; प्रव्रज्या तक

1. सिद्धार्थ का कुल

2. सिद्धार्थ के पूर्वज

3. राजा शुद्धोदन के घर सिद्धार्थ का जन्म

4. असित मुनि की भविष्यवाणी.

5. माता महामाया की मृत्यु

6. बचपन एवं शिक्षाः भाषा, शास्त्र, दर्शन, गणित, घुड़सवारी

7. मानवीय शोषण के खिलाफ था बालक सिद्धार्थ

8. प्राणी मात्र के प्रति प्रेम, करूणा, व दया की भावना..

9. सिद्धार्थ संग यशोधरा का मंगल-विवाह

10. पुत्र को वैराग्य से रोकने के लिए भोग विलास के सारे साधन

11. सिद्धार्थ को अपने रूप से वश में करने में सुंदरियां भी नाकामयाब

12. प्रधानमंत्री उदायी का कुमार सिद्धार्थ को समझाना.

13. सिद्धार्थ को संसार में एश्वर्य की ओर मोड़ने की सारी योजनाएं असफल

14. शाक्यसंघ में सिद्धार्थ की दीक्षा और सदस्यता

15. रोहिणी नदी के पानी के उपयोग पर शाक्यों और कोलियों में विवाद

16. देश छोड़ का दण्डः युद्ध रोकने के लिए सिद्धार्थ ने स्वीकारा

17. प्रव्रज्या ही समाधानः परिव्राजक बन देश छोड़ने का निर्णय..

18. रोते बिलखते परिवार से राजकुमार की विदाई की वेला

19. मानव कल्याण के मार्ग की खोज में सिद्धार्थ का गृह त्याग

20. अनोमा नदी के किनारे राजकुमार और सेवक छन्न के बीच भावुक सम्वाद

21. दुःख में डूबे छन्न की सिद्धार्थ को कपिलवस्तु को लौटने की प्रार्थना

22. दुखी और निराश सेवक छन्न की कपिलवस्तु की ओर वापसी

23. दुःख में डूबे राजा शुद्धोदन के परिवार का विलाप

महाभिनिष्क्रमण-गृहत्याग

1. सिद्धार्थ गौतम की संकल्प यात्राः कपिलवस्तु से राजगृह की ओर

-2. मगध के युवा राजा बिम्बिसार और सिद्धार्थ का मिलन

3. सिद्धार्थ को राजसी वैभव और यौवन के आनंद को भोगने का आग्रह.

4. संसार के भौतिक व कामसुख सिर्फ छलावे हैं, सिर्फ दुःख हैं.

5. दुखों के समाधान व सुख शांति के मार्ग की खोज के लिए गृहत्याग..

5. कोलियों व शाक्यों के बीच युद्ध न होने का सुखद समाचार

6. सिद्धार्थ को समाज के दुःख व संघर्ष का समाधान खोजना था

नये प्रकाश की खोज में

1. मानव कल्याण के प्रकाश की खोज में: स्वर्ग लाभ की तपस्या रास नहीं आई 

आलार कालाम के आश्रम में ध्यान व सांख्य-दर्शन का अध्ययन

3. ध्यान साधना व समाधि मार्गों का अध्ययन और अभ्यास

4. ध्यान व दर्शन में सफलता के बाद कठोर तपस्या की ओर

5. छ: वर्ष तक शरीर को कष्ट देने वाली तपश्चर्या को छोड दिया

6. सुजाता की खीर ने सिद्धार्थ को नया जीवनदान दिया..

ज्ञान प्राप्ति और नये मार्ग का दर्शन

1. नये प्रकाश के लिए पीपल वृक्ष के नीचे संकल्प और ध्यान.

2. वैशाख पूर्णिमा : बोधिसत्व सिद्धार्थ सम्बोधि-प्राप्त कर बुद्ध बने..

3. भगवान बुद्ध के दो उपासक तपस्सु और भल्लिक..

बुद्ध और उनके पहले के दार्शनिक

1. बुद्ध, वेद और वैदिक ऋषि..

2. सृष्टि की उत्पत्ति और दार्शनिक कपिल के विचार.

3. ब्राह्मण ग्रंथ और चार्तु-वर्णव्यवस्था..

4. वर्ण व्यवस्था या शूद्रों की मरण-व्यवस्था...

5. उपनिषद तथा उनकी शिक्षाएं.

बुद्ध तथा उस समय के अलग-अलग दार्शनिक विचार

1. अधिकतर दार्शनिक शोषणकारी व्यवस्थाओं के विरोधी थे

2. अपने समय के दार्शनिकों के प्रति बुद्ध के विचार

विचारधाराओं से तुलना तथा विरोध

1. जिसे बुद्ध ने अस्वीकार कियाः बुद्ध का धम्म स्वयं का सृजन था

2. जिन विचारों को बुद्ध ने परिवर्तित कियाः मोक्ष नहीं, निर्वाण का मार्ग..

3. जिन विचारों को बुद्ध ने स्वीकार कियाः धम्म ग्रंथों में नहीं, सिद्धांतों के पालन में....

मानव कल्याण के लिए धम्म प्रचार-प्रसार

1. गौतम बुद्ध का चिंतन-मनन मानव कल्याण के लिए उपदेश देना जरूरी..

2. संसार से भागना नहीं, बदलकर सुंदर और सुखी बनाना है...

3. बुद्ध का धम्म : दुखों से मुक्ति का सत्य और सर्वश्रेष्ठ मार्ग..

4. भिक्खुओं और उपासकों के लिए धम्मदीक्षा..

बहुजन हिताय बहुजन सुखाय लोकानुकम्पाय

1. पहला धम्म उपदेशः सारनाथ में पांच परिव्राजकों की दीक्षा..

2. धम्म चक्र प्रवर्तन जीवन में सुख-शांति का मध्यम मार्ग..

3. पंचशील का सदाचार सुखी जीवन का श्रेष्ठ आदर्श..

4. अरिय अष्टांगिक मार्ग बुद्ध धम्म का आधार..

5. प्रेम, करूणा, मैत्री व प्रज्ञा से बनता है सुखी संसार..

6. परिव्राजकों की धम्मदीक्षा- इसी जीवन में कल्याण व मुक्ति का नया धम्म..

कुलीनों तथा धाम्मिक गुरूओं की धम्मदीक्षा

1. वाराणसी के प्रतिष्ठित सेठ के पुत्र यश की धम्मदीक्षा..

2. धनी युवा सुख-शांति के लिए धम्म व संघ की ओर उमड़ पड़े..

3. चरथ भिक्खवे बहुजन हिताय बहुजन सुखाय लोकानुकम्पाय..

4. वाराणसी के प्रसिद्ध आचार्य काश्यप भाईयों की धम्मदीक्षा..

5. मगध के युवा व विद्वान सम्राट बिम्बिसार की धम्मदीक्षा

6. धम्म उपदेश सुन बिम्बिसार धन्य हुए, वेणुवन संघ को दान..

7. दो युवा मित्र सारिपुत्त और मोग्गलायान की प्रव्रज्या..

8. श्रावस्ती के दयालु, दानवीर सेठ अनाथपिण्डिक धम्म की ओर

9. कोसल नरेश प्रसेनजित बुद्ध व धम्म की शरण में

10. तक्षशीला से चिकित्सा प्राप्त राजवैद्य जीवक, त्रिरत्नों के प्रति समर्पित

11. कुरूराज के रद्वपाल की धम्मदीक्षा

बुद्धत्व प्राप्ति के बाद कपिलवस्तु में आगमन

1. संसार छोड़ने से पहले शुद्धोदन अपने पुत्र के दर्शन को आतुर...

2. कपिलवस्तु में भगवान बुद्ध का हर्ष, उल्लास व उमंग से स्वागत..

3. त्याग व श्रद्धा की देवी यशोधरा और गौतम बुद्ध का मार्मिक मिलन..

4. राहुल की दीक्षा : विरासत के रूप में मिला अनमोल धम्म रत्न.

5. सौतेले भाई और प्रजापति गौतमी के पुत्र नंद की धम्मदीक्षा..

6. अनुरुद्ध सहित छह शाक्य राजकुमारों व उपालि नाई की प्रवज्या..

7. कपिलवस्तु में बुद्ध को गृहस्थ बनाने का अंतिम प्रयास

8. भगवान बुद्ध ने सारे राजसी वैभव को फिर से ना कह दिया

9. बुद्ध का मानव कल्याण के मार्ग की खोज का दृढ़ संकल्प

धम्मदीक्षा- संघ के द्वार सभी के लिए खोले

1. राजगृह के पास देहाती ब्राह्मणों की धम्मदीक्षा....

2. उत्तरावती नगर के पांच सौ ब्राह्मणों की धम्मदीक्षा

उपेक्षित व अछूत वर्ग के लोगों की प्रव्रज्या

1. सुनीत मेहतर की प्रव्रज्या वह बुद्ध पुत्र की तरह प्रकाशमान हुए

2. मैत्रीभाव के धनी सोपाक और सुप्पिय की प्रव्रज्या

3. सुमंगल किसान, धनिय कुम्हार व अन्य शूद्रों की प्रव्रज्या

स्त्रियों की प्रव्रज्या इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ

1. महाप्रजापति गौतमी, यशोधरा व पांच सौ शाक्य स्त्रियों की प्रव्रज्या

2. इतिहास में पहली बार स्त्रियों को संघ में शामिल कर बराबरी का हक दिया.

3. चाण्डाल अछूत कन्या प्रकृति की दीक्षा से समाज हिल गया..

राह भटके हुए अपराधियों की धम्म शिक्षा

1. बुद्ध की करूणा के आगे खूंखार अंगुलिमाल की तलवार नहीं उठी..

2. धुमक्कड़ कर्मकांडी की धम्मदीक्षा

3. बुद्ध ने मानव कल्याण के लिए जोखिम भी उठाए

4. कोढ़ी भिखारी सुप्रबुद्ध पर करूणा : शील सदाचार के उपदेश दिए..

बुद्ध ने मानव जगत को क्या शिक्षा दी ?

1. बुद्ध ने अपने धम्म, अपने लिए कुछ भी विशेष स्थान नहीं रखा..

2. भगवान बुद्ध ने कहा- वह मार्गदाता है, मुक्तिदाता नहीं..

3. मुक्ति का अर्थ है राग-द्वेष मिट जाना अर्थात निर्वाण..

धम्म क्या है ?

1 . जीवन को पवित्र, शुद्ध, निर्मल रखना ही धम्म है

2. जीवन में पर्णता प्राप्त करना धम्म है.

3. निर्वाण प्राप्त करना धम्म है, परमसुख है : निर्वाण से बढ़कर सुखद कुछ भी नहीं...

4. शील, सदाचार का जीवन ही निर्वाण है

5. अरिय अष्टांगिक मार्ग : यह मध्यम मार्ग हैं, निर्वाण का मार्ग है.

6. संसार में सब कुछ अनित्य है, यह मानना धम्म है...

7. कम्म (कर्म) को जीवन में नैतिकता का आधार मानना धम्म है.

अ-धम्म क्या है?

1. प्रकृति के नियमों से परे में विश्वास करना धम्म नहीं है..

2. ईश्वर में विश्वास, धम्म का अंग नहीं है.

3. अंधविश्वास सम्यक दृष्टि का शत्रु है...

4. ब्रह्म पर आधारित धर्म, धम्म नहीं है..

5. आत्मा में विश्वास करना धम्म नहीं है..

6. आत्मा-परमात्मा में विश्वास सम्यक दृष्टि के विकास में बाधक हैं..

7. आत्मा नहीं, विज्ञान (चित्त-चेतना) ही जीवन की प्रधान वस्तु है.

8. यज्ञ (बलि कर्म) में विश्वास करना अधम्म है.

9. पांच शीलों का पालन सर्वश्रेष्ठ यज्ञ हैं..

10. अंधविश्वास व कल्पनाओं पर आश्रित सिद्धांत धम्म नहीं हैं..

11. संसार का विकास हुआ है, ईश्वर ने नहीं बनाया...

12. धम्म की किताबों को सिर्फ पढ़ना ही धम्म नहीं है

13. धर्म-ग्रंथों को गलती की संभावना से परे मानना अधम्म है..

सद्धम्म क्या है?

1. सद्धम्म के कार्य- मन में शुद्ध विचारों से जीवन को सुखी बनाना

2. काल्पनिक स्वर्ग नहीं, संसार को 'धम्म राज्य' बनाना

3. सिर्फ धम्म उपदेश ही नहीं देना बल्कि व्यक्ति को सदाचारी भी बनाना..

4. चाहे दूसरे लोग कुछ भी करें, तुम शील का पालन करो..

5. धर्म तभी सद्धम्म कहला सकता है, जब वह प्रज्ञा को जाग्रत करे..

6. सद्धम्म शिक्षा देता है- सिर्फ विद्वान मत बनो, ज्ञान का प्रकाश फैलाओ

7. सद्धम्म सिखाता है- जीवन में प्रज्ञा की जागृति जरूरी है..

8. सद्धम्म सिखाता है- प्रज्ञा के साथ शील जरूरी है..

9. सद्धम्म शिक्षा देता है- प्रज्ञा और शील के साथ करूणा भी होना जरूरी है..

10. सद्धम्म शिक्षा देता है- 'करूणा' से भी ज्यादा 'मैत्री' की जरूरत है...

11. सद्धम्म शिक्षा देता है- जात-पात तथा ऊंच-नीच की मानसिकता समाज विरोधी

12. ऊंची जाति नहीं, उच्च आदर्श और शील सदाचार का जीवन महत्वपूर्ण है..

13. सद्धम्म यह सिखाता है- व्यक्ति की पहचान जन्म से नहीं गुणों से हो...

14. धर्म तभी सद्धम है जब वह मानव समाज में समानता को बढ़ावा देता है....

धर्म और धम्म क्या है?

1. धर्म की अवधारणा का इतिहास

2. धर्म और धम्म में क्या फर्क है?.

3. धर्म और धम्म का उद्देश्य क्या है?.

4. धम्म का उद्देश्य हैं, व्यक्ति को बुराईयों को मिटाने की ओर ले जाना.....

5. धम्म का उद्देश्य मनुष्य और मनुष्य के कल्याण से है..

6. धर्म में नैतिकता का कोई स्थान नहीं है...

7. नैतिकता ही धम्म है और धम्म की नैतिकता है.

पुनर्जन्म

1. आखिर मृत्यु के बाद क्या होता है?..

2. पुनर्जन्म किसका, किस चीज का?...

3. पुनर्जन्म किस (व्यक्ति) का ?....

कर्म (कम्म)

1. बुद्ध के धम्म में कर्म का क्या महत्व है?

2. क्या पिछले जन्म के कर्मों का प्रभाव अगले जन्म पर पड़ता है?.

3. बुद्ध का कर्म सिद्धांत इसी जन्म के कर्म से है..

4. संसरण

अहिंसा

1. बुद्ध की शिक्षाओं में अहिंसा का महत्व

2. बुद्ध की अहिंसा का अर्थ मारो नहीं बल्कि सभी प्राणियों से मैत्री रखो.....

3. बुद्ध-वचनों के प्रति गलतफहमियों के कारण..

बुद्ध धम्म का जीवन मार्ग

1. कुशल-कर्म और अकुशल-कर्म (पाप-कर्म).

2. राग-द्वेष, तृष्णा, कामना, मोह, लोभ, घृणा, क्रोध...

3. सुख चाहते हो तो दूसरों को दुख मत दो

4. वैर से कभी वैर शांत नहीं होता, मैत्री से ही होता है.

5. व्यक्ति वही होता है जैसे उसका मन सोचता है.

6. स्वयं को एक सुरक्षित द्वीप बनाओ

7. व्यक्ति अपना स्वामी स्वयं है कोई और नहीं..

8. बुद्धिमान, न्यायशील बनो और अच्छी संगति रखो.

9. जागने वाले के लिए रात लंबी होती है

10. अकेले रहना अच्छा है, मूर्ख अज्ञानी की संगति अच्छी नहीं..

11. मन चंचल है, मन ही प्रधान है इसे वश में कर सुखी रहें.

12. सबसे बड़ा रोग, आरोग्य सबसे बड़ा लाभ है..

13. कड़वे वचन मत बोलो, सामने से वैसा ही उत्तर मिलेगा..

14. तथागत तो सिर्फ मार्गदाता है, चलना तो तुम्हें ही पड़ेगा..

15. शीलवान व्यक्ति संसार में सुखी रहता है...

तथागत की धम्म देशना (धम्म-उपदेश)

1. गृहस्थों के लिए उपदेश - गृहस्थ जीवन के सुख का आधार..

2. बेटी भी बेटे से अच्छी हो सकती है..

3. पति और पत्नी के बीच मधुर सम्बंध..

4. व्यक्ति का पतन कैसे होता है?...

5. बुरे व्यक्ति की पहचान..

6. संसार में सबसे श्रेष्ठ व्यक्ति कौन?.

7. मैंने मन के विकार, मैल को मिटा दिया है- मैं बुद्ध ह.

8. न्यायी और सज्जन व्यक्ति कौन?...

9. अच्छे कुशल कर्मों का फल आनंदमयी होता है

10. सद्-आचरण, सदाचार क्या है?..

11. शील, सदाचार: मन वाणी और शरीर से अच्छे कर्म..

12. जीवन में सदाचरण की आवश्यकता क्यों है?.....

13. सदाचरण और व्यवहारिक जीवन की जिम्मेदारियां.

14. सदाचरण में सम्पूर्णता, ऊंचाईयां कैसे प्राप्त करें?.

15. सही साथी नहीं मिलें तो सन्मार्ग पर अकेले ही चले.

16. चाहे दूसरे कुछ भी करें, तुम शील का पालन करो..

निर्वाण सम्बंधी धम्म-उपदेश

1. निर्वाण क्या का अर्थ है- राग द्वेष से मुक्त हो जाना...

2. श्रेष्ठ जीवन जीना ही निर्वाण है.

3. व्यक्ति के पतन के कारण पांच बंधन.

धम्म सम्बंधी प्रवचन

1. जीवन में सम्यक दृष्टि का स्थान सबसे ऊपर क्यों है?..

2. मृत्यु के बाद जीवन की चिंता व्यर्थ हैं..

3. ईश्वर से प्रार्थनाएं और याचनाएं करना बेकार है...

4. भोजन का व्यक्ति की पवित्रता से कोई सम्बंध नहीं..

5. मांस भोजन का नहीं, जीवन में पवित्र कर्मों का महत्व है...

6. सिर्फ स्नान से नहीं, धम्म से शरीर स्वच्छ और निर्मल होता है..

7. पवित्र जीवन क्या है?...

सामाजिक-राजनीतिक प्रश्नों पर बुद्ध के धम्म उपदेश

1. धनी और शासकों के गुलाम मत बनो....

2. यदि शासक सदाचारी होगा, तो प्रजा भी सदाचारी होगी.

3. युद्ध मानव विकास और खुशहाली में बाधक है...

4. युद्ध नहीं, सभी प्राणियों के प्रति मैत्री भावना हो..

भिक्षु-भिक्षुणी संघ और संगठन

1. इतिहास में पहली बार बुद्ध ने भिक्खु संघ बनाया

2. संघ : जहां बुद्ध ने सभी के लिए द्वार खोले..

3. धम्म की राह पर भिक्खु का कठिन जीवन.

4. भिक्खु का जीवन तलवार की धार पर चलने जैसा..

5. भगवान बुद्ध की एक (आदर्श भिक्खु) की अवधारणा..

6. भिक्खु तपस्वी नहीं, परिव्राजक होता है..

7. भिक्षु और ब्राह्मण में मानसिक, बौद्धिक और नैतिक अंतर..

8. भिक्खु और उपासक के धम्म में अंतर....

9. धम्म-दीक्षा देना, धम्म प्रचार करना भिक्षु का कर्तव्य है..

10. चमत्कारों द्वारा धम्म प्रचार और दीक्षा नहीं हो

11. धम्म की दीक्षा कभी भी जोर जबर्दस्ती से नहीं..

12. शील को भंग करने वाली शक्तियों से संघर्ष करो..

गृहस्थ सुखी जीवन का मार्ग

1. गरीबी में ही जीवन गुजारना कोई आदर्श नहीं

2. ईमानदारी से कमाया हुआ धन आनंद देता है....

3. सच्चा धर्म वह जो धन को बर्बाद करने की शिक्षा न दें..

4. संतान का फर्ज : माता-पिता की सेवा करना...

5. शिष्य का फर्ज : आचार्य का आदर सम्मान करना...

6. पति-पत्नी का फर्ज : एक-दूसरे के प्रति विश्वास और समर्पण..

7. मालिक और नौकर का फर्ज..

8. बेटियों के सुखी जीवन के लिए उपदेश..

गौतम बुद्ध के समर्थक अनुयायी और उपासक

1. मगधराज बिम्बिसार द्वारा भिक्षुसंघ को 'वेळुवन' दान...

2. श्रावस्ती के श्रेष्ठी अनाथपिंडिक द्वारा 'जेतवन' उद्यान का दान..

3. राजवैद्य जीवक का 'अम्बवन' दान.....

4. वैशाली की राजगणिका आम्रपाली द्वारा 'अम्बवन' का दान...

5. श्रावस्ती : मिगारमाता विशाखा की दानशीलता..

भगवान बुद्ध के धम्म की लोकप्रियता और विरोधी.

1. लोगों को मायाजाल से लुभाकर दीक्षा देने का आरोप.

2. बुद्ध का समाज पर व्यर्थ का बोझ बनने का आरोप..

3. सुखी गृहस्थियों के परिवार उजाड़ने का आरोप..

4. तैर्थिकों द्वारा महिला की हत्या का झूठा आरोप..

5. बढ़ती लोकप्रियता के कारण तथागत को बदनाम करने की साजिश..

6. देवदत्त : बुद्ध का फुफेरा भाई जो शत्रु भी था...

7. ब्राह्मण तथा भगवान बुद्धः बुद्ध को पानी पिलाने पर दासी कन्या की हत्या....

8. ब्राह्मण कौन? द्रोण ब्राह्मण को बुद्ध के उपदेश..

बुद्ध के धम्म के आलोचक

1. संघ में सभी वर्ग के प्रवेश की आजादी की आलोचना..

2. व्रत ग्रहण करने की आलोचना..

3. अहिंसा के सिद्धांत की आलोचना..

4. दुख की बात करने से निराशा पैदा करने का आरोप..

5. अनित्यता के सिद्धांत से उदासी पैदा करने का आरोप..

6. क्या बुद्ध का धम्म निराशावादी है? दुखवादी है?..

7. आत्मा और पुनर्जन्म सम्बंधी आलोचना..

8. विनाशवादी होने का आरोप..

तथागत बुद्ध के समर्थक और प्रशंसक

1. राजगृह की ब्राह्मण स्त्री धानंजानि की श्रद्धा......

2. श्रावस्ती में मिगार माता विशाखा की प्रबल श्रद्धा..

3. राजा प्रसेनजित की रानी मल्लिका की निष्ठा....

4. एक गर्भवती मां की तीव्र अभिलाषा......

5. केनिय ब्राह्मण द्वारा तथागत का स्वागत...

6. कोसलराज प्रसेनजित द्वारा तथागत की स्तुति.

महाश्रमण की अंतिम चारिका

1. धम्म के प्रचार प्रमुख केन्द्र.

2. वे पावन स्थान जहां तथागत पधारे..

3. माता-पुत्र और पति-पत्नी की अंतिम मार्मिक भेंट..

4. पिता बुद्ध और पुत्र राहुल की अंतिम भेंट..

5. भगवान बुद्ध और धम्म सेनापति सारिपुत्त की अंतिम भेंट..

6. ...और धम्म की दूसरी भुजा महामोग्गलान भी बिछुड़ गए

7. भगवान बुद्ध की प्रिय वैशाली से अंतिम विदाई..

8. पावा में पड़ाव : चुंद सुनार के घर भोजन....

9. कुसीनारा में मल्लों के शालवन में विश्राम..

महामानव का महापरिनिर्वाण

1. कुसीनारा में सुभद्र परिव्राजक को अंतिम धम्म दीक्षा..

2. तथागत के अंतिम वचन...

3. वैशाख पूर्णिमा की मध्य रात्रि को महापरिनिर्वाण

4. कुसीनारा में तथागत का अंतिम दाह-संस्कार..

5. भगवान बुद्ध के 'फूलों' (अस्थि अवशेष) पर विवाद..

6. भगवान बुद्ध के प्रति श्रद्धा...

भगवान बुद्ध का व्यक्तित्व

1. आकर्षक और प्रेरणादायक व्यक्तित्व..

2. भगवान बुद्ध : बत्तीस लक्षणों से सुशोभित महापुरूष..

3. तथागत में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता....

4. दुखियों का दुख हरने वाले महान चिकित्सक..

5. विशाखा को सांत्वना प्रियजनों से बिछुड़ना स्वभाविक..

6. किसा गोतमी को सांत्वना, सब अनित्य है

7. रोगी के प्रति करूणा..

8. जो धम्म को देखता है वह मुझे देखता है: बुद्ध..

9. शरीर रोगी लेकिन मन रोगी न रहे...

10. पांच इंद्रिय सुखों से निर्वाण का सुख अधिक आनंददायी..

11. असहनशीलों के प्रति सहनशीलता..

12. सभी के प्रति समानता के भाव..

तथागत की पसंद और नापसंद

1. उन्हें दरिद्रता (गरीबी) नापसंद थी

2. बुद्ध को धन को सिर्फ जोड़ने की प्रवृति नापसंद थी..

3. तथागत को सुसंगति पसंद थी..

4. भगवान बुद्ध को सुसंगति की रमणीयता प्रिय थी.

उपहसंहार

1. भगवान बुद्ध और उनके धम्म की श्रेष्ठता का सम्मान...

2. उनके धम्म के प्रचार का संकल्प..

3. भगवान बुद्ध के स्वदेश लौटने की प्रार्थना...

View full details