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अछूतों की कैफियत - अछूतों पर होने वाले अन्याय-अत्याचारों की ऐतिहासिक रपट 

अछूतों की कैफियत - अछूतों पर होने वाले अन्याय-अत्याचारों की ऐतिहासिक रपट 

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लेखक : महामना जोतिबा फुले 

अनुवाद : डॉ. संजय गजभिए 

पृष्ठ : 40

 

अछूतों की कैफियत - महात्मा जोतिबा फुले की ऐतिहासिक रपट

जय भीम! जय फुले! जय संविधान! पेश है राष्ट्रपिता महात्मा जोतिबा फुले द्वारा लिखी गई वह ऐतिहासिक रिपोर्ट, जो अछूतों पर होने वाले अन्याय और अत्याचारों का कच्चा चिट्ठा खोलती है। यह किताब "अछूतों की कैफियत" सिर्फ एक रपट नहीं, बल्कि पहला दलित दस्तावेज़ है जो उस दर्द और पीड़ा को बयां करता है जिसे सदियों तक दबाया गया।

ब्लू बुद्धा पब्लिकेशन का मानना है कि यह किताब हर बहुजन के घर में होनी चाहिए। यह समझने के लिए कि हमारे पूर्वजों ने क्या झेला है और सामाजिक क्रांति की वह मशाल कैसे जली जिसे बाद में बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर ने आगे बढ़ाया।

यह किताब आपके संग्रह में क्यों होनी चाहिए:

ऐतिहासिक सच्चाई का खुलासा: यह किताब बताती है कि कैसे मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद ब्राह्मणों का आधिपत्य स्थापित हुआ और अछूत-शूद्रों पर अत्याचारों का दौर शुरू हुआ।
गुलामी की जड़ों पर प्रहार: महात्मा फुले ने इस दस्तावेज़ के माध्यम से उन सभी अमानवीय और क्रूर धार्मिक नियमों का पर्दाफाश किया है जो हमारे समाज को गुलाम बनाने के लिए लिखे गए थे।
क्रांति की पहली चिंगारी: जिस सामाजिक क्रांति की लड़ाई को बाबासाहेब आंबेडकर ने आगे बढ़ाया, उसकी नींव महात्मा फुले और माता सावित्रीबाई फुले ने रखी थी। यह किताब उसी क्रांति की शुरुआत की कहानी है।
मूलनिवासियों का इतिहास: यह किताब बताती है कि कैसे इस देश के शासक रहे बौद्ध और मूलनिवासी जातियों को साज़िश के तहत शक्तिहीन और कमजोर बना दिया गया।
प्रेरणा का स्रोत: यह रपट आपको उस दर्द का एहसास कराएगी जिसने महात्मा फुले को लोक कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित करने की प्रेरणा दी। यह हर सामाजिक कार्यकर्ता के लिए पढ़ना अनिवार्य है।

यह किताब डॉ. संजय गजभिए द्वारा सरल हिंदी में अनुवादित है ताकि क्रांतिसूर्य महात्मा फुले के विचार जन-जन तक पहुँच सकें। इसे पढ़ें और उस सामाजिक क्रांति का हिस्सा बनें जिसका सपना हमारे महापुरुषों ने देखा था।

आज ही इस ऐतिहासिक बहुजन साहित्य को खरीदें और अपने हक और सम्मान की लड़ाई को और मजबूती दें। जय भीम!

 

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