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जनहितवादी हीन-दीनों के उद्धारक संत गाडगे बाबा

जनहितवादी हीन-दीनों के उद्धारक संत गाडगे बाबा

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लेखक : प्रबोधनकार ठाकरे

अनुवाद : डॉ. संजय गजभिए 

पृष्ठ : 152

 

— अनुक्रमणिका —

प्रकाशकीय

अनुवादकीय

1. झाडू का लोकधर्म

2. छोटे मंदिर का प्रणाम

प्रकरण-1

3. कर्मयोगी संत श्री गाडगे महाराज (बाबा)

4. हवन-पूजा का नतीजा

5. लड़की वापस घर आ गई

6. डेबूजी का गंवारू जीवन

7. डेबूजी की गंवारू भजन मंडली

8. सार्वजनिक भंडारे की शुरुआत

9. होनहार बिरवान के होत चिकने पात

10. तैरना नहीं आता का मतलब?

11. आदमी के लिए असंभव कुछ भी नहीं है

12. चरवाहा किसान बन गया के पूरे

13. कैसे होगी इसकी शादी !

14. क्या देखकर लड़की दें?

15. चंद्रभानजी पर साहूकार का पंजा

16. साहूकारशाही का जादू

17. डेबूजी का गो-धन के प्रति प्रेम

18. मामाजी घबराते क्यों हो?

19. क्या कभी ऐसा हुआ है?

20. किसान न छोटा न बड़ा

21. मेहनती दुखी, चोर होशियार

22. दुनिया में बड़ा साधु कौन ?

23. हिसाब दिखा, नहीं तो

24. आखिर वह अवसर आ ही गया

25. पांच सौ कोस में साहूकार का दबदबा

26. पकड़ो उसे... निकालो बाहर

27. जा, चुपचाप पीछे, नहीं तो.

28. अरे, मैंने ब्रह्म को पा लिया

29. डेबूजी देवीसिंह बन गए

30. अन्याय से नफरत

31. अब क्या? मटन, शराब और मौज-मस्ती

32. धोबी के जीवन में तीन बलियां

33. तुमने अपने कुल और जात को कलंकित किया है

34. लोकसेवा का प्रारंभ

35. डेबूजी की चरम भूतदया

36. संसार से समाज की ओर

37. कौन है वह विचित्र विभूति ?

38. डेबीदास कहां है?

39. अरे बाबा! आपने यह क्या कर दिया

40. जीवनरूपी गाड़ी का बदलना

41. वर्तमान समय का सिद्धार्थ

प्रकरण-2

42. नव-मानव धर्म की खोज में संसार त्याग का कारण क्या था?

43. षड्रिपुओं का दमन कैसे किया

44. वनवास में भी लोकसेवा

45. अद्भुत निर्भयता की कमाई

46. थोड़ा उनके घर में भी झांक कर देखें

47. आखिर ढूंढ़ ही लिया

48. ऋणमोचन का रविवार का शंकर

49. वह आए बगैर नहीं रह सकता

50. एक कसौटी का अवसर

51. में मर गया होता तो तू क्या करती?

52. डेबूजी बट्टी आ गया रे, आ गया

53. झाडू का नया धर्म

54. इंसानियत का संदेश

55. यात्रा खत्म, डेबूजी गायब !

56. विक्षिप्तता के कुछ उदाहरण

57. निंदकों के अड्डे पर

58. ऋणमोचन के ऋण को चुकाया

59. आखिर घाट पत्थर के बन गए

60. डेबूजी आगे, कीर्ति पीछे

61. रेल (ट्रेन) हमारी मां-बाप है

62. काशी प्रयाग यात्रा

63. चील उड़े आकाश में

64. दहेज-निषेध की फटकार

65. इकतारा के साथ भजन

66. दापुरी में क्या घटित हुआ?

प्रकरण-3

67. लोकजागृति की पृष्ठभूमि

68. कथा-कीर्तनों ने क्या भला किया?

69. देववाद का प्रचार-प्रसार

70. मंदिरों की भरमार

71. तीक्ष्ण निरीक्षणों का सिद्धांत

72. खबरदार पैर छूए तो

73. न सिंदूर, न माला और न ही गले लगाना

74. अनेक नामों वाला साधु

75. डेबूजी के कीर्तन का जादू

76. कीर्तनों की सीख

77. भगवान के लिए भागदौड़

78. साकार-निराकार का व्यर्थ का झगड़ा

79. देह में घुसने वाले देव

80. ...और वह सत्यानारायण

81. भगवान के आगे पैसे और फल न रखें

82. मनौती से बच्चे पैदा होते हैं?

83. जादू-टोना और चमत्कार

84. बाबा के पीछे चमत्कारों का झमेला

85. हिंसाबंदी का आग्रह

86. मठ-पीठों के प्रयास का विरोध

87. न मंत्र, न गुरु-उपदेश

88. कीर्तन-सप्ताह और भंडारे

89. प्रसाद के भंडारे का आयोजन

90. अंध-अपंग, कुष्ठ रोगियों को भोजन

91. तूफानी संचार की फलश्रुति

92. विचार करने वाली बात

93. निर्वासित मारुति का जीर्णोद्धार

94. क्योंकर ऐसा पृथ्वी पर पापियों का भार है

95. जहां देखो वहां अनुशासन, प्रभाव और दबदबा

96. गृह-निर्माण की सौंदर्य-दृष्टि

प्रकरण-4

97. शून्य से निर्मित किया गया फैलाव

98. माया-मोह को खुरचकर अलग कर दिया

99. बाबा के परमगुरु तुकाराम

100. नासमझ (मूर्ख) ही ज्योतिषियों के चक्कर में पड़ते हैं

101. तत्त्व-जिज्ञासु और तत्त्व-विवेचक बाबा

102. अध्यात्म से व्यवहार का महत्त्व ज्यादा

103. निस्संग वेपर्वाह वृत्ति

104. अपूर्व लोकप्रियता

105. तूफानी संचार का सिलसिला

106. कंगाल का सुनहरा चमत्कार

107. बहुत-से पत्थर, कुछ हीरे

108. पके हुए कुछ आम भी सड़ गए

109. गाडगे बाबा का नाम एक टकसाल

110. स्वतंत्र मठों के आश्रम वाले

111. कसौटी के कार्यकर्ता

112. मोम से भी मुलायम... लेकिन

113. चारधाम यात्रियों को खरी-खोटी सुनाना

114. बेजोड़ सरलता

115. लोकश्रद्धा को दिशा दी

116. कर्मयोगी कीर्तनकार

117. जनसंपर्क

118. विलक्षण आदमी अकेला ही रहता है

119. गंगा के पानी से गंगा की पूजा

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