ऐसा चाहूं राज मैं… संत सिपाही रैदास (Defected)
ऐसा चाहूं राज मैं… संत सिपाही रैदास (Defected)
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लेखक: कुलदीप कुमार
पृष्ठ: ३०४
— विषय-सूची —
समर्पण
प्रस्तावना
प्रकाशकीय
भाग : 1
अध्याय : 1
जीवन-यात्रा.
1.1 भक्ति लहर का महाझूठ
गुरु रैदास ने अगर भक्ति नहीं की तो क्या किया.
1.2 सन्त परम्परा.
1.3 जीवनी
रैदास या रविदास, 1.4 नाम
1.5 गृहस्थी सन्त.
1.6 दलित सन्तों को "ऋषि" मत कहो
1.7 प्रचार और दीक्षा
1.8 उनकी हत्या की गई ! क्यों ?.
गुरु रैदास की हत्या के साक्ष्य :
गुरु रैदास की हत्या करने के पीछे छिपे कारण.
अध्याय : 2
"रैदास' कौन
2.1 भक्त रैदास या गुरु रैदास
2.2 सन्त-सिपाही.
2.3 क्रांतिकारी रैदास.
अध्याय: 3
ब्राह्मणवादी चालें
3.1 पिछले जन्म में ब्राह्मण होने की कथा
1. पुनर्जन्म किसका ?
2 क्या कोई बता सकता है
3. किस काम से कौन सा जन्म
3.2 पारस या सोने की मुहरें देने वाला भगवन कौन.
3.3 गंगा में पत्थर का सालिगराम तैराने की कथा.
3.4 गंगा द्वारा सुपारी लेने तथा कंगन देने की कथा. गंगा हमारी मां.
3.5 अपनी छाती में जनेऊ दिखाना.
शिक्षित बनो, संघर्ष करो, संगठित बनो तथा संसद पर कब्जा करो
अध्याय : 4
रैदास हमारे रामजी दशरथ का सुत नांहीं.
रैदास जी के रामजी कौन
इस व्यथा का कारण और हल
अध्याय : 5
गुरु कौन — रामानन्द या रैदास जी
1. गुरु रैदास की बाणी में गुरु का वर्णन नहीं है.
2. रामानन्द की बाणी में रैदास जी का नाम कहीं नहीं है.
3. उस समय के सन्तों की बाणी :
4. Circumstancial evidence अर्थात परिस्थिति मूलक साक्ष्य सच्चाई
रैदास जी का गुरु कौन?.
अध्याय : 6
मीरा के प्रभु : गिरिधर यानि गुरु रैदास
मीरा की हत्या की गई.
मीरा और रैदास जी के आपसी सम्बंध.
मीरा के प्रियतम: रैदास.
नाम बनाम राम
राणा द्वारा जहर देने की कथा...
मीरा को राधा का अवतार बताना धूर्तता की चरम सीमा,
अध्याय : 7
सन्त रैदास : हिन्दू या बौद्ध
यज्ञ वेदों के धर्म की जान,
यज्ञ बनाम हवन.
महाराजा रावण ने हवन करने का नियम बनाया
गुरु रैदास श्रमण संस्कृति के ध्वज वाहक
सन्तों की भक्ति यानि भगवन बुद्ध का मध्यम मार्ग
भाग: 2
परम लक्ष्य : सत्ता प्राप्ति : बेगमपुरा बसाना
अध्याय : 8
पराधीनता पाप है जान लेवो रे मीत !
भारतीय इतिहास का गौरव दलित जन
दलितों का इतिहास स्वर्णिम है गुरु रैदास
दलित गुलाम हैं! पराधीनता पाप है, जान लेवो रे मीत।
राजनीतिक सत्ता : दलित आजादी की कुंजी..
सत्ता प्राप्ति का रास्ता
अध्याय : 9
आदर्श राज्य : राम राज्य नहीं बल्कि बेगमपुरा.
बेगमपुरा बनाम अमृतदेश..
अमृतदेश की रूप रेखा.
बेगमपुरा शहर को नांव.
बेगमपुरा यानि सिन्धु सभ्यता.
सिन्धु सभ्यता बनाम आज का दलित,
कायम दायम सदा पातशाही.
दोम न सोम, सब एक सो आही.
आबादान सदा मसहूर.
वतन अर्थात बौद्ध भारत.
सिन्धु सभ्यता का "अन्त" : एक शैतानियत भरा झूठ....
परिशिष्ट
रैदास बाणी.
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