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बुद्धकालीन भारत

बुद्धकालीन भारत

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लेखक : डॉ. भरतसिंह उपाध्याय 

संपादन : डॉ.एम.एल.परिहार 

पृष्ठ : 240

 

विषय-सूची (CONTENTS)

1. स्रोतः उनका प्रामाण्य और भौगोलिक महत्त्व

पालि तिपिटक बुद्धकालीन भूगोल का आधारभूत स्रोत और उसकी अ‌ट्ठकथाएं सहायक या गौण स्रोत हैं...... पालि तिपिटक बुद्धकालीन भूगोल को जानने का कहां तक विश्वसनीय साधन है?....... पालि तिपिटक के संकलन-काल पर कुछ विचार........ उसके मुख्य ग्रंथों का संकलन अशोक के काल में हो चुका था...... भौगोलिक साक्ष्य से पालि तिपिटक की प्राचीनता की सिद्धि.. पालि तिपिटक बुद्धकालीन परिस्थितियों का प्राचीनतम लेखबद्ध विवरण है..... पालि तिपिटक, विशेषतः सुत्तपिटक और विनयपिटक का भौगोलिक महत्त्व. दीघ-निकाय के सुत्तों में प्राप्त भौगोलिक निर्देश......... मज्झिमनिकाय में प्राप्त भौगोलिक निर्देश संयुत्त निकाय में प्राप्त भौगोलिक निर्देश....... अंगुत्तर-निकाय में प्राप्त भौगोलिक निर्देश.. खुद्दक निकाय के ग्रंथों में प्राप्त भौगोलिक निर्देश.. विनय पिटक में भौगोलिक निर्देश.. पालि अट्‌ठकथाएं और उनका भौगोलिक महत्त्व....... इस दृष्टि से पालि तिपिटक के साथ उनकी तुलना....... अट्ठकथाओं का साक्ष्य पालि तिपिटक के बाद और उसके सहायकत्व के रूप में ही ग्राह्य है....... अ‌ट्ठकथाओं में प्राप्त भौगोलिक निर्देश. सुमंगलविलासिनी में ........पपंचसूदनी में सारत्थप्पकासिनी में...... मनोरथपूरणी में खुद्दक पाठ की अट्ठकथा में ..... धम्मपद अट्ठकथा में...... सुत्तनिपात की अ‌ट्ठकथा (परमत्थजोतिका) में....... धेर थेरी-गाथाओं की अ‌ट्ठकथा (परमत्थदीपनी) में......समंतपासादिका में...... अभिधम्मपिटक के ग्रंथों की अ‌ट्ठकथाओं में...... भौगोलिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण कुछ अन्य पालि और संस्कृत बौद्ध साहित्य का संक्षिप्त निर्देश. प्रस्तुत अध्ययन केवल पालि तिपिटक और उसकी अट्ठकथाओं पर आधारित।

2. जंबुद्वीप : प्रदेशों की सीमा, विस्तार, आकार प्राकृतिक भूगोल

पालि तिपिटक और उसकी अ‌ट्ठकथाओं में बुद्धकालीन भारत का नाम 'जंबुद्वीप' है जंबुद्वीप की सीमा, विस्तार और आकार के संबंध में पालि विवरण.... चार महाद्वीप ... जंबुद्वीप.. पुब्बविदेह उत्तरकुरु अपरगोयान प्रत्येक की पारस्परिक स्थिति और विस्तार के संबंध में विवेचन ....... जंबुद्वीप की सीमा और विस्तार के संबंध में पालि विवरण और उनका वर्तमान भौगोलिक अर्थ..... पालि तिपिटक और उसकी अट्ठकथाओं के 'जंबुद्वीप' का पौराणिक जंबुद्वीप और जैन 'जंबुदीव' से भेद........ जंबुद्वीप के आकार के संबंध में पालि साक्ष्य ...... 'उत्तरेण आयतं दक्खिणेन सकटमुख.... जंबुद्वीप के संबंध में कुछ अन्य पालि विवरण.... पुब्बविदेह के संबंध में पालि विवरण और उसकी वर्तमानपहचान...... उत्तरकुरु के संबंध में पालि विवरण और उसकी वर्तमान पहचान.... अपर-गोयान के संबंध में पालि विवरण और उसकी वर्तमान पहचान.... जंबुद्वीप के प्रादेशिक विभाग के तीन प्रकार सोलह महाजनपद तीन मण्डल महामंडल, मज्झिम मंडल और अंतिम मंडल या अंतो मंडल...... प्राचीन, अवंती और दक्खिणापथ...... पांच प्रदेश........ मज्झिम देस, पुब्बंत, पुरथिम या पाचीन देस, उत्तरापथ, अपरत और दक्षिणापथ...... अंतिम विभाजन भौगोलिक दृष्टि से अधिक उपयोगी मज्झिम देस बौद्ध दृष्टि से उसका महत्त्व.... मज्झिम देस की सीमाओं का विवेचन मजिझम देस की पूर्वी सीमा कजंगल निगम तक और इसका सास्कृतिक अर्थ अन्य सीमाएं मज्झिम देस भगवान बुद्ध की विचरण-भूमि है. मज्झिम देस में भगवान बुद्ध की चारिकाओं का भूगोल...... मज्झिम देस का प्राकृतिक भूगोल नदी, पर्वत, झीलें पुब्ब, पुब्बत, पुरत्धिम या पाचीन देस और उसका प्राकृतिक भूगोल..... उत्तरापथ और उसका प्राकृतिक भूगोल... अपरंत और उसका प्राकृतिक भूगोल... दक्खिणापथ और उसका प्राकृतिक भूगोल ।

3. बुद्धकालीन भारत की राजशक्तियां और राजनीतिक भूगोल

पालि तिपिटक में 'चक्तवत्ति' आदर्श... बुद्धकालीन भारत में कई राजशक्तियां, परंतु उनकी प्रवृत्ति एक राज-सत्ता के रूप में विलीनीकरण की ओर.... चार राज-तंत्र...... उनका भौगोलिक विवरण... मगधकोसल वंस अवती साकिया कोलिया मोरिया... लिच्छवी विदेहा...... भग्गा कालामा दस गण-तंत्र मल्ला (कुसिनारा के).... मल्ला (पावा के) 'सोलह महाजनपदा' और उनका युग मगध काशी..... कोसलवजि. बुली सोलह महाजनपदों का भौगोलिक विवरण अङ्ग मल्ल........ चेति (चेतिय)... वंस..... कुरु...... पञ्चाल... मच्छ सूरसेन अस्सक..... अवंती......गंधार कंबोज कुछ अन्य जनपद..... थुलू (बुमू, खुलू) वकहार.. दसण्ण.. कोटुंबर वङ्ग सुहूम (सुंभ) कुकुट मद्दयोन सिवि बाहिय.. केकक या केकय....... कोकनद...... उद्दियान सिंधु और सोवीर सुरठ महिंसक रट्ठ...... वनवास अंधक लाल रटूठ... सूनापरंत (सूनापरांत). महारट्त....... सेरिव दमिल सतियपुत्त.. केरलपुत्त....... पंडिय..... चोल...... भेण्णाकट कलिंग उक्कल।

4. बुद्ध के काल का मानव समाज : मानव-भूगोल

विषय प्रवेश.... जनसंख्या ..... मुख्य पेशे..... कृषि अकाल...... 'राज-बलि' वाणिज्य......' हीन सिप्पानि' गोरक्षा या पशु-पालन. ..... राजसेवा. मजदूर फसलें...... सिंचाई. दास और कर्मकर...... उपसंहार। शिल्पकारी और

5. बुद्धकालीन जन जीवनः आर्थिक और व्यापारिक भूगोल

बुद्धकालीन आर्थिक जीवन सामान्यतः सुखी और समृद्ध... विकसित अवस्था....... मुख्य बुद्धकालीन शिल्प और उद्योग धंधे संबंधित शिल्प....... धातु उद्योग राजगीरी. बर्तन निर्माणकला. शिल्प... 'सेणियो' या शिल्पकार-संघ. व्यापार...... अंतर्देशीय व्यापार परिवहन......... समुद्री व्यापार और विदेशों से संबंध... मुख्य बदरगाह और निर्यात... मुद्रा और विनिमय....... तौल और माप। वस्त्र-उद्योग और उससे शिल्प और उद्योगों की उच्च बढ़ईगीरी.... कुछ अन्य और व्यापारिक मार्ग.....जल व्यापारी संघ... आयात

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