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अछूत कौन और कैसे ?

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लेखक : बाबासाहेब डॉ. बी.आर. आंबेडकर 

अनुवाद : आचार्य जुगल किशोर बौद्ध 

पृष्ठ : 135

 

अछूत कौन और कैसे? - डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर का क्रांतिकारी विश्लेषण 

जय भीम! जय संविधान! क्या आपने कभी सोचा है कि अछूतपन की जड़ें कहाँ हैं? इस सवाल का जवाब किसी और ने नहीं, बल्कि खुद बाबासाहेब डॉ. आम्बेडकर ने अपनी क्रांतिकारी किताब "अछूत कौन और कैसे?" में दिया है।

ब्लू बुद्धा पब्लिकेशन का मानना है कि यह सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि बहुजन साहित्य का एक ऐसा दस्तावेज़ है जो हर घर में होना चाहिए। यह किताब उन सभी सवालों का जवाब देती है जिन्हें सदियों से दबाया गया है।

यह किताब आपके संग्रह में क्यों होनी चाहिए:

अछूतपन की उत्पत्ति: यह किताब इस सवाल की गहराई से पड़ताल करती है कि अछूत गाँव के बाहर क्यों रहते हैं? बाबासाहेब बताते हैं कि कैसे बौद्धों के प्रति घृणा और गऊ-मांस खाने की वजह से एक पूरे समाज को अछूत बना दिया गया।
पुराने सिद्धांतों का खंडन: डॉ. अम्बेडकर नस्ल की भिन्नता और व्यवसाय के कारण अछूतपन की उत्पत्ति जैसे पुराने और झूठे सिद्धांतों का खंडन करते हैं और तर्कों के साथ सच को सामने रखते हैं।
चौंकाने वाले सवाल: यह किताब ऐसे तीखे सवाल पूछती है जैसे, "क्या हिंदुओं ने कभी गऊ-मांस नहीं खाया?" और "ब्राह्मण शाकाहारी कैसे हो गए?" यह आपको इतिहास की उन सच्चाइयों से रूबरू कराती है जो कभी बताई नहीं गईं।
अपवित्र और अछूत में अंतर: बाबासाहेब इस किताब में 'अपवित्र' और 'अछूत' के बीच के मौलिक अंतर को समझाते हैं और बताते हैं कि कैसे एक खास समय पर 'छितरे हुए लोगों' को 'अछूत' बना दिया गया।
गुलामी का अहसास: यह किताब आपको उस ऐतिहासिक अन्याय को समझने में मदद करती है जो करोड़ों लोगों के साथ हुआ। यह जानना हर बहुजन के लिए ज़रूरी है ताकि भविष्य में ऐसी गलती दोबारा न हो।

यह किताब केवल इतिहास नहीं है, यह वर्तमान को समझने और भविष्य को बदलने का एक शक्तिशाली हथियार है। यह हर उस व्यक्ति के लिए है जो जाति के विनाश और एक समतामूलक समाज की स्थापना के लिए लड़ रहा है।

आज ही इस ऐतिहासिक बहुजन साहित्य को खरीदें और बाबासाहेब के विचारों की मशाल को आगे बढ़ाएं। जय भीम!

 

— विषय-सूची —

समर्पण

दो शब्द.

प्रकाशकीय

प्राक्कथन

पहला खंड : एक तुलनात्मक सर्वेक्षण

अध्याय : 1. गैर-हिंदुओं में अछूतपन

अध्याय : 2. हिंदुओं में अछूतपन

दूसरा खंड : आवास समस्या

अध्याय : 3. अछूत गांव के बाहर क्यों रहते हैं?

अध्याय: 4. क्या अछूत छितरे हुए लोग हैं?

अध्याय : 5. क्या अन्यत्र भी ऐसी समानताएं हैं?

अध्याय : 6. अन्यत्र ये बस्तियां कैसे लुप्त हो गई?

तीसरा खंड : अछूतपन की उत्पत्ति के पुरातन सिद्धांत

अध्याय: 7. अछूतपन की उत्पत्ति का कारण नस्ल की भिन्नता

अध्याय : 8. अछूतपन की उत्पत्ति व्यवसाय के कारण

चौथा खंड : अछूतपन के मूल के नए सिद्धांत

अध्याय: 9. बौद्धों के प्रति घृणा ही अछूतपन का मूल.

अध्याय : 10. गऊ-मांस खाना अछूतपन का मूल

पांचवां खंड : नए सिद्धांत और कुछ प्रश्न

अध्याय : 11. क्या हिंदुओं ने कभी गऊ-मांस नहीं खाया?

अध्याय : 12. गैर-ब्राह्मणों ने गऊ-मांस खाना क्यों छोड़ दिया?

अध्याय : 13. ब्राह्मण शाकाहारी कैसे हो गए?...

अध्याय : 14. गऊ-मांस खाने ने छितरे हुए लोगों को अछूत क्यों बना दिया?

छठा खंड : अछूतपन और इसकी जन्मतिथि

अध्याय : 15. अपवित्र और अछूत

अध्याय: 16. छितरे हुए लोग कब अछूत बने?

 

 

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