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गुलामगिरी

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लेखक : जोतीराव फुले 

मूल मराठी से हिंदी अनुवाद : उज्ज्वला म्हात्रे

संदर्भ-टिप्पणियां : राम सूरत व आयवन कोस्का

प्राक्कथन : आयवन कोस्का

पृष्ठ : 165

 

— अनुक्रम —

प्रकाशकीय

अनुवादकीय

प्राक्कथन : आयवन कोस्का

1. प्रस्तावना

2. भूमिका

3. भाग 1

[ब्रह्मा, मनुष्य की उत्पत्ति, सरस्वती और ईरानी या आर्य लोगों के बारे में।

4. भाग - 2

[मत्स्य अवतार और शंखासुर के बारे में।

5. भाग - 3

[कच्छ, भूदेव या भूपति, क्षत्रिय, द्विज तथा कश्यप राजा आदि के बारे में]

6. भाग - 4

[वराह और हिरण्याक्ष के बारे में।

7. भाग - 5

[नारसिंह, हिरण्यकशिपु, प्रह्लाद, विप्र और विरोचन इत्यादि के बारे में।

8. भाग - 6

[बलिराजा, जोतिबा, मराठे, खंडोबा, महासुभा, नौ खंडों के न्यायाधीश, भैरोबा, भराडी, सात आश्रयित, तली भरना, रविवार को पवित्र मानना, वामन, पक्ष डालना, विंध्यावली, घट बिठाना, बलिराजा का निधन, सती जाना, आराधी लोग, शिलांगन, चावल के आटे की बलि, दूसरे बलिराजा के आने के बारे में भविष्यवाणी, बाणासुर, कुजागरी, वामन की मौत, उपाध्याय, होली, वीर बनना, बलि प्रतिपदा, भैयादूज इत्यादि के बारे में।

9. भाग-7

[ब्रह्मा, ताम्रपत्र पर लिखने की तरकीब, जादुई मंत्र, संस्कृत का मूल स्त्रोत, सागरपार गमन निषेध, प्राचीन समय में ब्राह्मण घोड़े आदि जानवरों को खाते थे, भट, राक्षस, यज्ञ, बाणासुर का निधन, परवारी, सूत का निशान, बीजमंत्र, महार, शूद्र, कुलकर्णी, कुलंबी, कुणबी औरत, शूद्रों का द्वेष, यज्ञ वस्त्र, धर्मशास्त्र, मनु, भटों-पंतों की शिक्षा, बड़ा भयानक परिणाम, प्रजापति की मौत, ब्राह्मण इत्यादि के बारे में।

10. भाग-8

[परशुराम, मातृवध, इक्कीस बार आक्रमण, दैत्य, खंडेराव द्वारा रावण के पास, नौ खंडों की जनाई, सात आश्रित, महारों के गले का काला धागा, अतिशूद्र, अंत्यज, मांग, चांडाल, महारों को जिंदा नींव में गाड़ देना, ब्राह्मण विधवाओं को पुनर्विवाह करने की मनाही, क्षत्रिय शिशुओं का वध, प्रभु, रामोशी, जीनगर, इत्यादि लोग, परशुराम की खुदकुशी और चिरंजीवी परशुराम को निमंत्रण इत्यादि के बारे में।

11. भाग 9

[वेद मंत्र, जादू का प्रभाव, मूठ चलाना, देवघर घुमाना, जप, चार वेद, ब्रह्मझंझट, नारदशाही, नया ग्रंथ, शूद्रों को ज्ञान देने के लिए मनाही, भागवत और मनुस्मृति के असंगत होने इत्यादि के बारे में।

12. भाग 10

[ दूसरे बलिराजा, ब्राह्मण धर्म की बदनामी और मजाक, शंकराचार्यों का बनावटीपन, नास्तिक मत, निर्दयता, प्राकृत ग्रंथकार, कर्म तथा ज्ञानमार्ग, बाजीराव, मुसलमानों से नफ़रत, अमरीकी तथा स्कॉट उपदेशकों द्वारा ब्राह्मणों के बनावटी किले की दीवार को ढाहने इत्यादि के बारे में।

13. भाग - 11

[पुराणों पर प्रवचन, परिणाम-विद्रोह, शूद्र राजा-रजवाड़े, कुलकर्णी, सरस्वती की प्रार्थना, जप-जाप, अनुष्ठान, मंदिर, दक्षिणा, बड़े-बड़े उपनामों की सभाएं इत्यादि के बारे में।

14. भाग - 12

[वतनदार भट कुलकर्णी, यूरोपीय लोगों की बस्तियों की जरूरत, शिक्षा विभाग के मुंह पर पुती कालिख, यूरोपीय कर्मचारियों की अक्ल कैसे घास चरने जाती है इत्यादि के बारे में।

15. भाग - 13

[तहसीलदार, जिलाधीश, राजस्व आयुक्त, न्यायाधीश, अभियांत्रिकी विभाग के भट कर्मचारी इत्यादि के बारे में।

16. भाग 14

[ यूरोपीय अफसरों की लाचारी, खोतों का वर्चस्व, पेंशन लेकर सेवानिवृत्त हो चुके अंग्रेज सरकारी अफसरों को गांव-गांव में हो रहे भ्रष्टाचार तथा अनियमितताओं के बारे में सरकार को सूचित करना जरूरी; धर्म तथा जातिवाद इत्यादि के बारे में]

17. भाग - 15

[शिक्षा विभाग, नगरपालिका, दक्षिणा प्राइज कमेटी और भट, पत्रकारों की एकजुटता, शूद्र-अतिशूद्र बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने से रोकने के लिए भटों के षड्यंत्र इत्यादि के बारे में]

18. भाग - 16

[ब्रह्मराक्षसों के जुल्मों का धिक्कार]

परिशिष्ट

परिचय

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